
नहीं मिली एंबुलेंस, ठेले पर पत्नी को ले गया अस्पताल, लेकिन नहीं बची जान
पूरा मामला बलिया के चिलिकहर ब्लॉक के अन्दौर गांव का है. यहां 60 वर्षीय सुकुल प्रजापति ने बताया कि 28 तारीख को वह खेत मे काम कर लौटे तो उनकी पत्नी बीमार हो गई थी. सुकल प्रजापति ने बताया कि उनके पास कोई मोबाइल भी नहीं है, वह हमेशा की तरह इस बार भी बिना एम्बुलेंस बुलाए अपनी बीमार पत्नी को ठेले पर लेटाकर प्राथमिक स्वास्थ केंद्र चिलिकहर ले गए. यहां डाक्टर नें एक इन्जेक्शन देकर बिना रेफर कागज बनाए व बिना एम्बुलेंस की व्यवस्था किए ही उन्हे मरीज को लेकर जिला अस्पताल जाने को कहा.
मगर उसके पास पैसा नहीं होने के कारण वह अपनी पत्नी को पियारिया बाजार के पास ठेले पर ही लेटाकर पैदल घर गया और कुछ पैसे लेकर आया. फिर अपनी पत्नी को ऑटो रिक्शा से जिला अस्पताल ले गया. जिला अस्पताल में सारी सुविधाएं होने के बावजूद भी जांच के नाम पर सुकुल प्रजापति से 350 रूपये लिए गए. यहां इलाज के दौरान उसकी पत्नी जोगनी की मौत हो गई. कारगुजारी की हद तो तब हुई जब वहां के डाक्टरों ने मौत के बाद शव को लाने के लिए भी शव वाहन तक मुहैया नहीं कराई. पीड़ित का कहना है कि मैंने शव को घर लाने के लिए एम्बुलेंस की मांग की लेकिन वहां के डाक्टरों नें रात का हवाला होते देते हुए प्राईवेट एम्बुलेंस से शव को ले जाने को कहा, जहां उनसे प्राईवेट एम्बुलेंस के नाम पर भी 1100 रूपये वसूले गए. पीड़ित का कहना है कि उसने आयुष्मान कार्ड के लिए कुछ महीने पहले आवेदन किया गया था, जो अब तक नहीं मिला.