रामजन्मभूमि परिसर की सूरत एक साल में काफी बदल गई
रामजन्मभूमि परिसर की सूरत एक साल में काफी बदल गई

रामजन्मभूमि परिसर की सूरत एक साल में काफी बदल गई
रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के साथ रामनगरी का आत्माभिमान
सज्जित हो रहा है। इस उत्कर्ष यात्रा का सूत्रपात गत वर्ष पांच अगस्त
को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर की आधारशिला रखने के साथ किया था।
इस बीच न केवल मंदिर निर्माण की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है,
बल्कि भव्य राम मंदिर के साथ दिव्य अयोध्या की परिकल्पना भी आकार लेने लगी है।
यह बदलाव उन लोगों के लिए स्वर्णिम सौगात से भी बढ़ कर है,
जिन्होंने श्रीराम और उनकी नगरी के अपमान-अवमान के एक-एक दिन एक-एक युग की तरह काटे हैं
रामजन्मभूमि के लिए मध्ययुगीन तौर-तरीकों के अनुरूप सतत युद्ध हुए और लाखों रामभक्तों ने
बलिदान दिया। तो रामजन्मभूमि की बिसात पर ब्रिटिश हुक्मरान भी अपनी सुविधा के हिसाब
से मोहरे चलते रहे, किंतु रामभक्तों के लिए न्याय मृग मरीचिका ही बना रहा।
यह आंदोलन अनेक निर्णायक पड़ावों से गुजरा और आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए
अनेक रामभक्तों ने प्राणों की आहुति दी। हालांकि यह अभियान भी अंजाम तक पहुंचने से पूर्व ही
ठिठक गया और दारोमदार उसी न्यायिक प्रक्रिया पर आकर टिक गया।