
चुनाव आयोग तक पहुंची असली शिवसेना की लड़ाई, उद्धव ठाकरे या एकनाथ शिंदे, किसका पलड़ा भारी?
महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद भी शिवसेना की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. शिवसेना पर दावेदारी और असली-नकली को लेकर एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच खींचतान अभी जारी है. राज्य में असली शिवसेना को लेकर लड़ाई चुनाव आयोग तक पहुंच गई है. इस बीच चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों गुट को शिवसेना में बहुमत साबित करने के लिए दस्तावेजी सबूत पेश करने के लिए कहा है.
चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट को 8 अगस्त को दोपहर 1 बजे तक जवाब देने का वक्त दिया है. इसके बाद आयोग शिवसेना पर अपना दावा जता रहे दोनों गुटों और विवादित मसलों को लेकर विचार करेगा.
चुनाव आयोग तक शिवसेना की लड़ाई
महाराष्ट्र में असली शिवसेना को लेकर लड़ाई अब चुनाव आयोग के चौखट पर पहुंच गई है. एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन चुके हैं और अपने गुट को असली शिवसेना करार दे रहे हैं तो वहीं, उद्धव ठाकरे गुट के नेता इस पर अपना दावा जताते हुए चुनौती दे रहे हैं. एकनाथ शिंदे गुट की ओर से उनके नेतृत्व वाले खेमे को शिवसेना घोषित करने और पार्टी का चुनाव चिन्ह “धनुष और तीर” आवंटित करने के लिए याचिका दायर की गई थी.
शिंदे गुट का पलड़ा कितना भारी?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने गुट को असली शिवसेना बता रहे हैं. उन्होंने चुनाव आयोग को यह भी बताया है कि 55 में से 40 विधायक, कई एमएलसी और 18 में से 12 सांसद उनके समर्थन में हैं. महाराष्ट्र में शिवसेना में बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे ने 55 में से कम से कम 40 विधायकों के साथ होने का दावा किया था और सभी विधायकों के साथ असम में एक होटल में चले गए थे, जिसके बाद एमवीए यानी शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी की सरकार गिर गई थी.
शिंदे और उद्धव गुट ने लिखा था पत्र
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा था. इस पत्र में शिंदे ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह को उन्हें आवंटित करने की मांग की थी. साथ ही ये भी बताया था कि कितने विधायक और एमएलसी उनके साथ हैं. एकनाथ शिंदे गुट के इस दावे पर उद्धव ठाकरे गुट ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कहा था कि शिवसेना से जुड़ा कोई भी निर्णय लेने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए.
कौन किस पर भारी?
महाराष्ट्र में शिवसेना की लड़ाई शायद अब अंतिम मोड़ पर है. असली शिवसेना यानी शिवसेना पर किसकी दावेदारी होगी, इसका फैसला चुनाव आयोग को करना है. एकनाथ शिंदे ने विधायकों और सांसदों की संख्या के आधार पर दावा किया है कि शिवसेना अब उनकी है. शिवसेना के 55 में से 40 विधायक एकनाथ शिंदे के समर्थन में हैं. वहीं, 12 सांसदों का भी साथ मिला है. शिंदे ने लोकसभा स्पीकर से मुलाकात कर राहुल शेवाले को लोकसभा में पार्टी का नेता घोषित करने के लिए कहा था जिसे स्पीकर ने मान्यता दी थी.
वहीं, दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे के समर्थन में शिवसेना की कार्यकारिणी के मेंबर हैं. कुछ विधायक और सांसद अभी भी उद्धव ठाकरे गुट के साथ हैं, जिसके आधार पर उद्धव ठाकरे गुट शिवसेना पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं. शिवसेना की स्थापना उद्धव ठाकरे के पिता बाला साहेब ठाकरे ने की थी. उनके निधन के बाद शिवसेना की कमान उद्धव ठाकरे के हाथ में है. शिवसेना के संविधान के मुताबिक पार्टी प्रमुख के बाद इससे संबंधित कोई भी फैसला शिवसेना की कार्यकारी समिति ले सकती है. बहरहाल अंतिम फैसला चुनाव आयोग को लेना है.