संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं पंचकोशी परिक्रमा मेले में करवाती है
संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं पंचकोशी परिक्रमा मेले में करवाती है

संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं पंचकोशी परिक्रमा मेले में करवाती है
बक्सर में विश्व प्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा मेले में संतान प्राप्ति की मन्नत पूरी होने पर महिलाएं
अपने आंचल पर लौंडा डांस करवाती हैं।यहां महिलाएं संतान प्राप्ति की मन्नत मांगती है, जो पूरी होने पर दोबारा मेले में आती हैं। उनके आंचल पर प्राप्त संतान को गोद में लेकर लौंडा (लड़की के वेश में लड़का) डांस करते हैं। इस मेले में दूर-दूर से लोग आते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस यात्रा में शामिल होने और पूजा पाठ कराने से जिन दंपतियों को संतान की प्राप्ति नहीं होती है। वे यहां संतान प्राप्ति की मन्नत मांगते हैं। और जब मन्नतें पूरी होती है तो यहां आंचल पर डांस कराया जाता है। इसे यहां के भाषा में लौंडा नाच कहा जाता है। मांगी हुई मुराद पूरी होने के बाद लोग अपनी संतान के साथ आते हैं। और आंचल फैलाकर लौंडा के गोद में बच्चा देकर डांस के जरिए भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो आज भी जारी है। बक्सर में हर साल पंचकोशी परिक्रमा हिन्दी तिथि से मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से शुरू होती है। जो दशमी तिथि को संपन्न होती है। पांच दिनों की परिक्रमा में बक्सर में अलग-अलग जगहों पर विभिन्न प्रकार के भोजन बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है। तथा प्रसाद खाकर रात्रि विश्राम की जाती है।